“आशुतोष पांडेय” इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कार्यरत आगरा और आगरा के आस–पास शायद ही कोई हो जिसने इस नाम को न सुना हो। जी हाँ आशुतोष आज युवाओं के लिए प्रेरणासोत्र बन चुके हैं। सफलता के इस शिखर पर आज वो हैं उसका श्रेय अपने “माता–पिता” और “खुद की मेहनत ” को देते हैं. बड़ी दिलचस्प है उनकी संघर्ष की ये कहानी..
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रहने वाले आशुतोष पाण्डेय का जन्म पंजाब के जालंधर में एक माध्यम वर्ग ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक मीडिया हाउस में कार्यरत थे। आय के साधन सीमित थे और खर्चे ज्यादा, इस बीच पिता जिस मीडिया हाउस के लिए काम करते थे उसमें भाइयों के झगड़े की वजह से ताला पड़ गया और इस बीच आशुतोष का छोटा भाई भी इस दुनियां में आ चुका था। वर्ष 1997 में उनका परिवार आगरा आ गया। उस वक़्त आशुतोश की उम्र 6 साल थी। चूँकि उनके पिता के पास प्रेस लाइन का ही अनुभव था इसलिए उन्होंने आगरा में प्रिंटिंग प्रेस पर ही कार्य करना मुनासीब समझा और सिकंदरा स्थित एक प्रेस पर बतौर मशीनमैन कार्य करना शुरू कर दिया। पैसों की तंगी ने फिर भी पीछा नहीं छोड़ा। जिंदगी के इस उतार चढ़ाव ने आशुतोष के बाल मन पर एक ऐसी छाप छोड़ी की उनके जहन में कुछ करने का जूनून घर कर गया। आठवीं क्लास से वो खुद अपने पैरों पर खड़े हो घर पर आर्थिक सहयोग करने लगे। रविवार को स्कूल की छुट्टी रहती थी तो सुबह ही साइकिल उठा घर से सीधे हींग की मंडी से वीडियो गेम की केसेट लेकर आते थे और उनको अच्छे मुनाफे पर बेच देते थे।
आगरा से ही उन्होंने अपनी बारवीं विज्ञान विषय से प्रथम श्रेणी में पास की. अब स्नातक में विज्ञान में प्रवेश लेना था पर उसकी फीस ज्यादा होने के कारण उन्होंने बी–कॉम करने का मन बनाया और दाखिला ले लिए। छोटा भाई भी स्कूल जाने लगा था और अब खर्चे बढ़ रहे थे और आया के साधन सीमित तो आशुतोष ने स्नातक करने के साथ–साथ एक फर्म में पार्ट टाइम जॉब करना शुरू कर दिया। उससे जो भी आये होती उससे वो अपने खर्चे उठाने लगे। वर्ष 2009 में बतौर बैक ऑफिस सप्पोर्ट के तौर पर कार्य किया. तन्खा थी 4000 रु मासिक । छह महीने वहां काम करने के बाद डाबर फुटवियर में मर्चन्टीजेर की पोस्ट पर 6000 रु सैलरी पर काम किया। वर्ष 2011 आते–आते कॉल सेंटर पाए पार्ट टाइम दोपहर 4 से रात 10 बजे तक की जॉब की वह से उनको लगभग 8500 रुपये की आमदनी हो जाती थी। इसी बीच उनका चयन वोडाफ़ोन कंपनी में बतौर टेक्निकल असिस्टेंट के रूप में हुआ और वो जयपुर चले गए। पर किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. वहां उन्होंने केवल २ महीने ही गुज़रे और वापस आगरा से आ गए। कारण था एक दैनिक समाचार पत्र का लॉन्च होना। कल्पतरु ग्रुप ने उनको आईटी हेड की जॉब ऑफर की और उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर ली, और यही से उनकी जिंदगी के बुरे दिनों ने पलटा खाया.
वर्ष 2011 में उन्होंने एचसीएल कैरियर डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट से एमसीआईटीपी (माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड आईटी प्रोफेशनल) प्रमाणन और सीसीएनए प्रमाणन का कोर्स किया। यह वह समय था जब फ्लिपकार्ट और एमेजॉन जैसे प्लेटफॉर्म भारत में अपना दायरा विकसित कर रहे थे। उनकी सफलता से प्रेरित होकर एमसीआईटीपी कोर्स करने के दौरान ही आशुतोष ने इस क्षेत्र में प्रवेश करने का निर्णय लिया। इसलिए उन्होंने 2011 में jhapatle.com नाम से एक वेब पोर्टल लॉन्च किया। जो बहुत कम समय में ही सफल हो गया। उनका आत्मविश्वास बढ़ा और LOOKA MARTIN नाम से एक ब्रांड पंजीकृत कराया. LOOKA MARTIN ब्रांड में उन्होंने काफी प्रोडक्ट्स रखे। रातों रात ये ब्रांड चल निकला और उम्मीद से ज्यादा आर्डर आने लगे जिसको अकेले पूरा कर पाना संभव नहीं था। कभी माल की कमी हो जाती तो कभी समय पर ग्राहकों को उपलब्ध न करा पाना, इसके लिए उनको आर्थिक दंड भी झेलना पड़ा। ये अनुभव उनको आगे आने वाली जिंदगी में बहुत काम आने वाला था। वर्ष 2014 में उन्होंने नवरात्र के समय शॉपक्लूज में गाय के गोबर से बने कंडे लांच किया और ऐसा करने वाले वो पहले व्यक्ति थे।
इसके अलावा उन्होंने 2017 तक क्रिप्टो करेंसी के तहत माइनिंग भी की। साथ ही उन्होंने ‘अपना कम्युनिकेशन‘ नाम से एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी लॉन्च की। हालांकि लॉन्च की गई कंपनी ‘अपना कम्युनिकेशन‘ टर्नओवर के मामले में उत्पादक थी, लेकिन डिजिटल एजेंसी को और अधिक नवीन और रचनात्मक बनाने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों के साथ 2017 में invenciatechnology.com लॉन्च की। वर्ष 2020 में उन्होंने burnstudy.com की शुरुआत की जिसके माध्यम से वह युवाओं को डिजिटल मार्केटिंग में कैरियर बनाने के लिए न केवल प्रेरित कर रहे हैं साथ ही पर्याप्त जानकारी देकर उन्हें प्रशिक्षित भी करते हैं।
यहां इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि आशुतोष भी भारत सरकार के डिजिटल इंडिया फ्लैगशिप कार्यक्रम से प्रेरित थे। उन्हें डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने का जुनून है।
उनका संगठन इनवेंसिया टेक्नोलॉजी सम्मानित ग्राहकों को अनुकूलित सहायता प्रदान करता है। कंपनी पेशेवरों की एक टीम को नियुक्त करती है जो डिजिटल मार्केटिंग के विभिन्न उपकरणों में विशेषज्ञता रखती है और बाजार खंड को देखते हुए व्यवसाय की आवश्यकता के अनुसार विशिष्ट उपकरण को नियोजित करती है। आशुतोष ने कई दर्जन वेब पोर्टल्स के विकास और डिजिटल मार्केटिंग के लिए अपनी सेवाएं दीं हैं।
historypandit.com
agrabharat.com
cloudmagica.com उनके सफल और संतुष्ट ग्राहकों में से प्रमुख हैं।
आज आशुतोष बतौर कंसलटेंट 150 से ज्यादा websites को अपना अनुभव दे रहे है।