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शाहरुख खान को चुनने का राज़ सामने आया: गौरी शिंदे की खुद की जुबानी

शिंदे

डायरेक्टर गौरी शिंदे की 2016 की फिल्म “डियर जिंदगी” एक ऐसी फिल्म है जिसने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और प्रासंगिकता पर ध्यान केंद्रित किया है। यह फिल्म एक युवा और सफल सिनेमैटोग्राफर, कायरा (आलिया भट्ट) के जीवन का अनुसरण करती है, जो अपने भावनात्मक संघर्षों से जूझ रही है। वह एक दयालु चिकित्सक, डॉ. जहांगीर खान (शाहरुख खान) की मदद से खुद को फिर से खोजने की कोशिश करती है।

फिल्म को दुनिया भर में प्रशंसकों से अविश्वसनीय समीक्षा और अत्यधिक प्यार मिला। यह भारत में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भी जाना जाता है।

फिल्म “डियर जिंदगी” की खासियत

फिल्म “डियर जिंदगी” का प्रभाव

“डियर जिंदगी” ने भारत में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। फिल्म ने लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए प्रेरित किया है और इससे मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की मांग में वृद्धि हुई है।

फिल्म ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को मुख्यधारा में ला दिया है। इससे मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों की समझ में सुधार हुआ है और इससे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को दूर करने में मदद मिली है।

“डियर जिंदगी” एक महत्वपूर्ण फिल्म है जिसने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह फिल्म हर किसी के लिए देखने लायक है, खासकर उन लोगों के लिए जो मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जूझ रहे हैं या जो मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानना चाहते हैं।

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